Book Title: Jain Bhajan Muktavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 29
________________ न्यामत विलास चाल-अब हिज़म रहना हमें मंजूर नहीं है । (गजल). -- - मिथ्यात पै चलना हमें मंजूर नहीं है। . मंजूर नहीं है हमें मंजूर नहीं है । टेक ।। पुदगल अनादि जीव अनादी आकाशकाल । करता इन्होंका मानना जरूर नहीं है ।। मि० ॥ १॥ परमात्मा सर्वज्ञ बीतराग है सही। वह सत्यचिदानंद है मजदूर नहीं है । मि० ॥२॥ कर्मों को काट जब कि मुक्ति जीवकी होवे । फिर वहाँ से लौट आने का दस्तूर नहीं है ।। मि०॥ ३ ॥ आतम सरूप देख तु परमात्मा बने। घटमें तेरे दीदार वह कुछ दूर नहीं है । मि० ॥ ४॥ सुख दुक्ख तो कर्मोही से होता है जगतमें । फल देने में न्यामत कोई मकदूर नहीं है || मि० ॥ ५ ॥ चाल-पारसनाथ सुनो विनती मेरी यह वरदान दया करपाऊं। परणति सब जीवन की प्राणी। तीन भाँति बरणी हम जानी ॥ टेक ।। एक पाप इक पुण्य निहारो दोनों ही जगबंध वखानी । रागद्धेप हरणी है तीजी, नाश जगत दुख मुक्ति दिखानी||१|| - - -

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