Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3 Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 9
________________ २ जीव- अजीव बालक था। जितेन्द्र बड़ा बुद्धिमान् और विनयी गुरुजी उस पर बड़े प्रसन्न थे। वे एक दिन बोले— 'बेटा जितेन्द्र ! बताओ, जीव किसे कहते हैं ?' जितेन्द्र ने विनयपूर्वक उत्तर जीव किसे कहते हैं ? यह तो आप ही ही बताएँ ! Jain Education International ! दिया— 'गुरुजी मुझे पता नहीं, 'अच्छा हम आज तुम्हें जीव किसे कहते हैं ? और जीव से जीव से विपरीत अजीव किसे कहते हैं ? यह अच्छी तरह समझायेंगे। परन्तु पहले जरा अपनी दवात और कलम को तो आवाज दो कि वे यहाँ आएँ, कुछ थोड़ा-सा लिखना है।' For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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