Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 60
________________ | १७ रात्रि भोजन मारवाड़ में एक , आदमी था। वह रात्रि में भोजन किया करता था। मिलने वाले लोगों ने उसे बहुत समझाया कि “रात में ' मत खाया करो, खाने के लिए दिन के बारह घण्टे क्या कुछ कम _है ? दिन को छोड़कर रात में खाना, अन्धों का खाना है।'' - वह आदमी बड़ा जिद्दी था। नहीं माना। "मैं जैन धर्म की बात क्यों मानें ।'यह भी उसके . मन में घमंड था। वह रात में ही रसोई बनवाता __ और खाता। एक बार उसने अपने नौकर से रात में रसोई बनवाई। रसोई में पूरी समूची भिंडी की तरकारी छौंकीtion गईnaticथी। For Private & Personal use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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