Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 68
________________ ( ६३ ) जब तक रवि · शशि तारे, तब तक गीत तुम्हारे ! विश्व रहेगा गाता ॥ चिरसुख-शान्ति विधायक, जय हे सन्मति युग-निर्माता! जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ! भ्रातृ-भावना भुला परस्पर, लड़ते हैं जो प्राणी। उनके उर में विश्व-प्रेम फिर, भरे तुम्हारी वाणी ॥ - सब में करुणा जागे, जग से हिंसा भागे। पायें सब सुख-गाता ॥ हे दुर्जय ? दु:ख-त्रायक, जय हे सन्मति युग-निर्माता ! जय हे ! जय हे ! जय हे ! जय जय जय जय हे ! नोट- सन्मति' भगवान महावीर का नाम है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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