Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 46
________________ . ( ४१ ) जैन धर्म में गुरु वही माना जाता है, जो किसी प्रकार का लोभ-लालच न करे, रुपया, पैसा, धन कुछ भी न रक्खे, ताँगा, मोटर, रेल आदि किसी भी सवारी पर न बैठे, जहाँ जाना हो, नंगे पैरों चले, कच्चा पानी न पीवे, आग का स्पर्श न करे, हरी साग-सब्जी न खावे, न कभी झूठ बोले, न कभी चोरी करे, साधु किसी औरत को न छूवे, साध्वी किसी मर्द को न छूवे, न रात में भोजन करे और न रात में पानी पीवे। जैन साधु बन जाना कुछ आसान काम नहीं है। संसार में सच्चे गुरु का दर्जा बहुत ऊँचा माना गया है। संसार के झंझटों में फंसे हुए अज्ञानी जीवों को धर्म का सच्चा उपदेश, गुरु से ही मिलता है। गुरुदेव हमारे मन में से अज्ञान का अन्धकार दूर कर सच्चे ज्ञान का प्रकाश कर देते हैं। ऐसे गुरुदेव के चरणों में वन्दना करना, नमस्कार करना, तुम्हारा सबसे पहला कर्तव्य है। गुरुदेव की सच्चे प्रेम के साथ वन्दना करने से आत्मा को बहुत बड़ी शान्ति प्राप्त होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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