Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 53
________________ ( ४८ ) दुनिया में श्रेष्ठ मानी गई है। इसलिए हम सब को अधिक से अधिक दयालु होना चाहिए। हम सब जीवों को प्रेम की आँखों से ही देखें, किसी प्रकार का भी बैर-विरोध और द्वेष न रक्खें। 'अमर' जीवन दया भाव मन जगत में मनुज का, है अनमोल । की 'अमर' रात - दिवस बिना धर्म Jain Education International रखना सदा, कुंडी खोल || २ दयामय जय दया का नहीं है, : धर्म धर्म की, बोल | भी, पोल ॥ अभ्यास १. हमें कोई दुःख देता है तो कैसा लगता है? २. भगवान महावीर का क्या उपदेश है ? क्या है ? ३. धर्म का मूल ४. जैन धर्म का दूसरा नाम क्या है कहते हैं ? ५. दया किसे For Private & Personal Use Only ? www.jainelibrary.org

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