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दूसरों के लिए भी मत करो। संसार के सब जीव अपने लिए भी सुख चाहते हैं, दु:ख कोई भी नहीं चाहता। सबको अपने समान ही समझो।
अच्छा तो भगवान महावीर के उपदेश का क्या सार निकला ? भगवान महावीर के उपदेश का सार यह है कि, हम न कसी को मारें, न सताएँ, न दुःख दें, न गाली दें, न किसी प्रकार का बैर-भाव रक्खें। हम सब जीवों से प्रेम-भाव रक्खें। जहाँ तक हम . से बन सके, दूसरे जीवों को सुख-शान्ति पहुँचाएँ। यही अहिंसा है, यही दया है। एक प्रकार से जैन धर्म का प्राण दया ही है। तभी जैन धर्म का दूसरा नाम दया धर्म है।
__ भगवान महावीर के शासन में दयाधर्म की बहुत बड़ी महिमा है। भगवान महावीर को भगवान का पद भी उनकी अपार दया के कारण ही मिला था। भगवान महावीर ने खुद भायंकर कष्ट उठाकर भी संसार के सब जीवों को सुख-शान्ति का मार्ग बताया।
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