Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 50
________________ १४ जैनधर्म - दयाधर्म हमें कोई दुःख दे, हमें कोई मारे, हमें कोई गाली दे तो हमें कैसा लगता है ? बुरा लगता या अच्छा लगता है है ? बुरा लगता न ! अब विचार कीजिए। अगर हम किसी दुःख दें, किसी जीव को मारें, दें, तो उसे कैसा लगेगा ? बुरा लगेगा ? बुरा लगेगा न ! Jain Education International जीव को या गाली अच्छा सताएँ लगेगा या हाँ, तो जो बात हमें पसन्द नहीं है, हमें खराब लगती है, वह दूसरों को किस तरह आ सकती है ? किस तरह अच्छी लगती है ? पसन्द भगवान महावीर ने इसीलिए तो कहा है---कि जो बात तुम अपने लिए पसन्द नहीं करते, वह ( ४५) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69