Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 47
________________ जैन-स्थानक में जब गुरुदेव के दर्शन करने के लिए जाओ, तो दोनों हाथ जोड़ कर यह तिक्खुत्तो' का पाठ पढ़ो और जब आखरी हिस्सा ‘मस्थएण वंदामि' आवे, तब जमीन पर घुटने टेककर सिर झुका कर नमस्कार करो। यह 'तिक्खुत्तो' का पाठ तीन बार पढ़ा जाता है, और तीनों ही बार घुटने टेक कर नमस्कार किया जाता है। ककर सिर न जाता है. यह तिक्स अगर कभी गुरुदेव रास्ते में आहार-पानी लाते हुए या विहार करते हुए मिलें तो वहाँ 'मत्थएण वन्दामि' बस इतना कहकर ही वन्दना करना ठीक है। वन्दना करते समय स्त्रियाँ साध्वी जी के चरणों को छू सकती हैं, साधुओं के चरणों को नहीं और पुरुष साधु जी के चरणों को छू सकते हैं, साध्वी जी के चरणों को नहीं। अभ्यास . १. जैनधर्म में गुरु किसे कहते हैं ? २. वन्दना कैसे करनी चाहिए ? ३. वन्दना करते समय तिक्खुत्तो कितनी बार पढ़ना चाहिए ? ४. रास्ते में वन्दना किस पाठ से करनी चाहिए? ५. कौन किसके चरण छू सकता हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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