Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 33
________________ ( २८ ) और देखो, बड़ों की पीठ पीछे कभी बुराई मत करो। बड़ों की निन्दा करने से उनकी निन्दा नहीं होती, वरन् तुम्हारी ही निन्दा होती है। जब तुम दूसरों के सामने अपने घर की निन्दा करो और कभी बड़े सुन पाएँ, उनको कितना दु:ख होगा। हमेशा गम्भीर बनने की कोशिश करो। पाठशाला में जितने अध्यापक हों, चाहे वे तुम से नीचे दर्जे को पढ़ाते हों, चाहे ऊँचे दर्जे को, जब वे तुमसे मिलें तो सबसे हाथ जोड़ कर 'जय जिनेन्द्र' करो। और जब वे विदा हों, या तुम उनके पास से जाना चाहो, तब भी 'जय जिनेन्द्र' करो। इसी प्रकार जो बालक तुमसे बड़े हों, ऊँचे दर्जे में पढ़ते हों, उनको, और अपने से छोटों को भी, “जय जिनेन्द्र' कहकर आदर देना चाहिए। अभ्यास १. बड़ों के आने पर क्या करना चाहिए ? २. बड़ों से कैसे बोलना चाहिए ? ३. बड़ों के सामने कैसे रहना चाहिए ? ४. बड़ों को विदाई कैसे देना चाहिए ? ५. अध्यापक तथा अध्यापिकाओं के साथ कैसे बरतना चाहिए ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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