Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 11
________________ खिलौना है तो क्या हुआ ? जब इनके कान मौजूद हैं, तब सुन क्यों नहीं सकती ? क्या बहरी हो गयी है ? जब पैर मौजूद हैं—तो चल-फिर क्यों नहीं सकती ? क्या पैरों में दर्द है ? इसके आँख, कान, नाक, हाथ, पैर सभी कुछ तो मौजूद हैं।' 'अजी कान हैं तो क्या हुआ ? बनावटी कानों से सुना थोड़े ही जाता है। पैर भी बनावटी हैं, इसलिए इनसे चला-फिरा भी नहीं जा सकता। इसकी आँख, नाक, बगैरह सब बनावटी हैं। 'अच्छा यह बताओ-तुमने कभी कोई मरा हुआ बिल्ली का बच्चा, या मरा हुआ कुत्ते का पिल्ला देखा है ? ___'हाँ, देखा है।' ___ 'वह तो सुन सकता होगा, देख सकता होगा? चल-फिर सकता होगा, और खा-पी सकता होगा ?' 'भला कहीं मुर्दा भी ऐसा कर सकता है ? मुर्दा न सुन सकता है, न देख सकता है, न चल-फिर सकता है, और न खा-पी सकता है।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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