Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 26
________________ __ ( २१ ) न मीठा, न कडुआ और न . चरपरा उसका स्वाद कुछ और ही तरह का ही होता है। है।' 'तुम ठीक कहते हो। आँवले का स्वाद कुछ अलग ही तरह का होता है। उसका नाम कषाय या कषैला है।' 'अच्छा, अब यह बताओ, तुमने पेड़ा, नीम, मिर्च और आँवले का स्वाद कैसे जाना ? किस चीज से जाना ?' "जीभ से चख कर जाना ।' 'बस, याद रक्खो कि, जिसके द्वारा किसी चीज को चख कर उसका खट्टा, मीठा, आदि स्वाद जाना जाता है, उसे रसन इन्द्रिय कहते हैं। रसन का अर्थ जीभ है।' ३-घाण इन्द्रिय 'क्या कभी तुमने गुलाब या चमेली आदि का कोई फूल देखा और सूंघा है ? यदि सूंघा है तो बता सकते हो, कैसा होता है ?' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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