Book Title: Jain Bal Shiksha Part 3
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 29
________________ ( २४ ) ५-श्रोत्र इन्द्रिय 'घोड़ा कैसे बोलता है ?' 'घोड़ा हिनहिनाता है । 'गधा कैसे बोलता है ?' 'गधा रैकता है ।' 'कुत्ता कैसे बोलता है ।' 'कुत्ता भौंकता है ।' 'अच्छा यह बताओं; घोड़े का हिनहिनाना, गधे का रैंकना, कुत्ते का भौंकना कैसे जाना ? किस चीज से जाना ?' 'कान से सुन कर जाना ।' 'बस' आज से याद रखना कि जिसके द्वारा आवाज सुनाई दे, किसी भी तरह का शब्द सुनाई दे, उसे श्रोत्र इन्द्रिय कहते हैं। श्रोत्र का अर्थ कान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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