Book Title: Gunvarma Charitra
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org वादयस्व स्वयं वीणां, गीतगानपुरःसरम् // ततोऽहमपि तत्कुर्वे, ज्ञायते कौशलं यथा // गुण० / मूर्त्तव भारती देवी, वीणामादाय सा ततः // जगौ गीतं गुणैः स्फीतं, रंजितः सकलो जनः चरित्र / 126 गीतप्रियोऽपि मित्रेण, दत्तां वीणामवादयत् / इयं गर्भवती वीणेत्युक्त्वा लोकमहासयत् // लोकै कथमिति प्रोक्ते, सपोचे कर्करोऽत्र यता।आदौ घृष्यति वीणाया दंडमध्ये स्थितोऽस्तिभोः | वीणां विदार्य तं वीक्ष्य, विस्मिते सकले जने // गंधर्वमाला वीणां स्वां, तस्य हस्ते समर्पयत् / / | तुंबुरुर्नारदो वासौ, पुंरूपा वा सरस्वती // तां वीणां वादयत्यस्मिन्न कस्तत्र व्यतर्कयत् // | गीते च गीते जैनेये, वर्ण्यभाषामनोहरे // गंधर्वमालया साकं, रंजिताः सर्वखेचराः // अचैतन्यं तथा तेषां, जज्ञे गीतं च शृण्वताम् // मित्रेग हारयामास, यथासौ तद्विभूषणम् / / कस्यचिकुंडलं कर्णाभुजात्कस्यचनांगदम् // मित्रेण कौतुकाज्जहे, करात्तस्याश्च कंकणमा। | गीते मुक्ते ततस्तेन, सर्वे जाताः सचेतनाः // रिक्तमाभरणैरंगं, दृष्ट्वान्योऽन्यं व्यलोकयन् / / स्मित्वा तद्भूषणे दत्ते, विचेतन्योक्तिपूर्वकम् // गंधर्वमाला तत्कंठे, वरमालां मुदाक्षिपत् // 11 // / तयोविवाहे संजाते, रूपलावण्यतुल्ययोः // सदृशं सदृशेनैव, भातीति जनता जगौ // DPORNCOME For Private and Personal Use Only

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