Book Title: Gunvarma Charitra
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir DEM4600 / वाद्यपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // कमलापुरमित्याख्यं, पुरमस्ति मनोहरम् // गुण | कीर्तिचंद्रो नृपस्तत्र, कीर्तिनिर्जितचंद्रमाः॥ प्रिया यशोमती तस्य, यशस्तर्जितमल्लिका // चरित्र / 129|| तनुजो धनदत्तस्य, धर्मस्तत्कुक्षिमागतः // दोहदावसरे तस्या, दोहदोऽयमभूदिति // सा जानाति समारुह्य, मृगारातिं महोत्कटम् / अनाहतेषु वाद्येषु, नदत्सु व्योमवर्मनि।। सभूपा सपरिवारा, पौरलोकैर्विलोकिता // करोमि नगरे चैत्यपरिपाटीमहं मुदा // 25 // / अनेनापूर्यमाणेन, दोहदेन कृशामिमाम् // सखीभिः प्रश्नयामास, भूपतिस्तन्मनोरथम्।। / ज्ञाते दोहदवृत्तांते, भृकांतेन मनीषिणः // मंत्रिणः प्रोचिरे कश्चिदुपायः क्रियतां द्रुतम्॥ || येन प्रपूर्यते देव्या, दोहदो हृदये स्थितः // अन्यथा सा कथाशेषा दिनैःस्तोकैर्भविष्यति॥ मंत्रिणः कथयामासुरन्योपायो न कश्चन // दर्शयद्भिः परं लोभं, दाप्यते पट्टहं पुरे // 254 // - आद्ययामे नृपादेशात्प्रोचुः पट्टहदायकाः // स एकं लभते लक्षं, यः पूरयति दोहदम् // यामे द्वितीये घस्रस्य, प्रोचुः पट्टहदायकाः ॥ढे लक्षे लभते सैष, यः पूरपति दोहदम।। ||129 // एवं तृतीयतुर्यादियामेषु जगतीपतेः॥ आदेशादर्द्धयामासुर्लक्षमेकं नराः क्रमात् // 25 // For Private and Personal Use Only

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