Book Title: Gunvarma Charitra
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Page 156
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / नत्वा श्रुत्वोपदेशं च, पप्रच्छ स्वभवं गुरून् // ते प्रोचिरे पुरस्तस्य, नगरे हस्तिनापुरे // गुण० श्रेष्ठिनो धनदत्तस्य, धर्मनामाभवत्सुतः / / पूजायां क्रियमाणायां, वाद्यपूजा कृतामुना // चरित्र / 141/ जिनपूजाप्रभावेण, प्राज्यं राज्यमिदंतव // वाद्यार्चनविशेषात्ते, तदानाहतवाद्यता // 393 // / / इत्थं पूर्वभवं श्रुत्वा, भूपो जातिस्मरोऽभवत् // विशेषादार्हतधर्म, प्रपेदे गुरुसन्निधौ।।३९४॥ गुरुन्नत्वा गृहं गत्वा, चिरं राज्यं स पालयन् / / तनुजं भानुनामानं, पट्टदेव्यामजीजनत् // समये सूनवे राज्यं, दत्वा वैराग्यसंभृतः // तेषामेव गुरूणांस, पार्श्वे संयममाददे // 396|| प्रपाल्य निरतीचारं, चारु चारित्रमुज्वलम् // विहितानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽभवत् / / | चिरं सुखान्यसौ भुक्त्वा, देवलाकात्ततश्युतः / षोडशःसोमनामासौ, तनुजस्तवभूपते // // इति वाद्यपूजायां धर्मकथा // 1019-OKHO | नाट्यपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // पुरं पृथ्वीप्रतिष्ठान, महाराष्ट्रेषु विद्यते // 14 // | बभूव जयदेवाख्यस्तत्र भूपतिकुंजरः / / करेणुक्यानिभातस्याभूज्जयश्रीः सुवल्लभा // 4006 For Private and Personal Use Only

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