Book Title: Epigraphia Indica Vol 28
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 362
________________ 72 72. ॐ सीता दोहराया हाया चंदन रामदिया मुद्रा झन ठঃसभऊ विविनाशनाः 74 महीने (व. या इति ब्र() ()74 त्रियानवी (सर्व कृलाद साह वीরिधरुन ধय यहिन घाব 76: मनु वा दाई मिति घाईत हावाला76 গ্রাइবাसी জী 78 80 बालकविताबादी घाटी वासनाओ (78 সनাलखঘनाव या घमघा सिवाजी यांचा सत गुरुमिता मनिहाल कोकिन वह कयाधू घासामान कृ8ि0 दावदनः विर सबडमाहाको घटना सूच सिद्धএवि(दृधिर घिउ (घोनि 82: তিধিত চায়। বায়ার ধরা পোলা না থলে করো না। ৪২ मुद्दा (মাघश्य ॥ सघनक ॥मदि युद्ध के 184 84 साधनसामुद्दाम नाम घिउ दिन माता चाहिताना ऊन ऊना (घ) का किला किस यात निदि विद्यालय व घोघा भू 86 जवान मातरिः सदा सुघ (हम 35 असून 86 कामविक्रमाया जाऊ कि सिमोघशिव का उघारि घालु यज्ञनियतियति विघ 88 रखनुः समाकर्ता गमावावीघा नितिप्रति गलःया याद किया (ग) द्वायाः তिमनुिघसाघार 88 ज्ञानदेव वालि (सिव कीर्ति ततः स लिया विनं समननिय 100 iii,b. 104 90 कमाई तो घालावा या या महाविद्या धनावाद मः घायल लघवः कृला जिला घरी तिचीपतिः। वाया 92 থবऊ नृपः। स (घाघाद डिधिकः तिमा ती मिस का समः स्राव न होना (घुन वाली शाह घाऊ हा माडसाईमत द्यावयामक कला हा बालन सहारा वि तासा दिया जज्ञः समातिन्द श्रीमद विजय (नाम अमरपाली यात्री समा मःकलगुरू घालुनीতिघঃবাবিরবরকবकथा व द ल ॥ सामु य 90 जात नाह घः (या न ग दि वृघ/ पृथाराटिः क92 (ज) (45) सिल के लाहुरामा य समानवयात याय94 94 96 98 स समिधा वामनघाः सघासाघवयं प्रसिद्ध हा वादवा सुतार निशान लग यन् हामी दमानिया ये दावा ? = বন(বাৰ100 वडा घासा द्वाद्वाज नहीं विकास का नया महसू 102 ताविक लुगाहरु विया म(समाजजन धनादिनानामादाय लिहीत जनितिक 102 जत्रमा समकक्षी घाशिव झाडाला या वृघा चियाका नासविच विलो उठाकर (तयतिः तवा संघाना राम् हठः सनातन समायावधि नक 104 या घास विधिः सघन हा या या या वाला या या नव घाल है। सघुरादिनागझि धर्मदाय घताना यात सहआयता (सोध्यावाचिनानामऊ लाख उद्यानहुड का जमाव घाड्रह तुह ड्रीम दिन का स्वाद (स) लडाय रु 106 NAGARI PLATES OF ANANGABHIMA III: SAKA 1151 AND 1152 (II) 108 iv,a. B. CH. CHHABRA Ree. No. 3977 E'36-499'52 SCALE: ONE-HALF 96 98 106 108 SURVEY OF INDIA, CALCUTTA

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