Book Title: Epigraphia Indica Vol 28
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 379
________________ 266 EPIGRAPHIA INDICA [VOL. XXVIII TEXT First Plate 1 ॐ नमो महादेवाय । स्वस्ति सप्तत्युत्तरेब्दशतक (के) गुप्तनृप2 राज्यभुक्तौ महाज्येष्ठसाम्ब (संव)त्सरे फाल्गुण (न) मासशुक्लपक्ष पञ्चम्यां 3 अस्यान्दिवसपूर्वायां नृपतिपरिव्राजककुलोप (त्प) न्नेन महाराजदेवाढयप्रण4 प्ता (प्त्रा) महाराजप्रभजननप्त्रा श्रीमहाराजदामोदरसुतेन गोसहस्त्रह6 स्त्यश्वहिरण्यानेकभूमिप्रदेन गुरुपितृमातृपूजातत्परेणात्यन्तदेवब्रा6 ह्मणभक्तेन नैकसमरशतविजयिना स्ववन्शा (वंशा) मोदकरेण श्रीमहाराज7 हस्तिना स्वपुण्याप्यायनार्थं ब्राह्मणकोद्रवशम-नागशर्म-मातृदत्त8 गङ्गाभद्रस्वामि-धनदत्त-कपिलस्वामि-अग्निशर्मा-विष्णुदेव-विशाखदेव9 गन्दस्वामि-परितोषशर्म-कृष्णस्वामि-देवशर्म-[ रो ]हशर्म-देवशर्म10 देवाढयदत्तशर्म-मनोरथ-अग्निदत्त · · · ती. • • 'शर्म-रुद्रदत्त-विशाखदत्त il .... मौनविष्णुस्वामिपुनरपि विष्णुदेव-स्वातिगङ्गघोषा (षो) द्यानमधूक12 गवा भगवक सपल्लिक वो (वी) थिकापल्लिकसमते (समेत)ताग्र हारोत्सृष्ट: सोद्र13 ङ्गः सोपरिकरः अचाटभटप्रावेश्यो चो[रवज] ममधूकः . . . . Second Plate 14 पश्चिमदक्षिणेन मधूकगर्तिकासिंहानकः उत्तरेण शल्लकी माल 15 पूर्वेण वटाबाहिकाः किन्नाटदेहिको च दक्षिणपूर्वेण अाम्रगर्तमधूकग16 र्तिका संगममित्येवं न केनचिदस्मत्कुलोत्थेन मत्पादपिण्डोपजीविना च 17 को (का) लो(ला)न्तरेष्वपि व्याघातो न* कार्यः एवमाज्ञप्ते योन्यथा कुर्यात् तमहं दे18 हान्तरगतोपि महतावद्ध्यानेन निर्दहेयं । उक्तं च भगवता परमर्षिणा वेद 1) व्यासेन व्यासेन [*] पूर्वदत्तां द्विजातिभ्यो यत्नाद्रक्ष युधिष्ठिर [1*] महिम्महिमतां (The roading of linea 12 and 13 seem to be as follows : 12 गत्तिकाभगवद्विस्णु(ष्णु)पल्लिकागोधिकापल्सिक(का)समवेता(तो) प्रहारोतिसृष्टः सोद्र- 13 ङ्गः सोपरिकरः अचाटभटप्रावेश्यश्चौरवज समधुक: यत्रायाटा [:]-Ed.] • Thin nai sunrfluun.

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