Book Title: Dhyanashatak
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Kanhaiyalal Lodha, Sushma Singhvi
Publisher: Prakrit Bharti Academy

Previous | Next

Page 7
________________ गा. सं. 23 75 75 76 76 27 77 28-29 78 30 78 18 32 34 35-36 82 83 38 विवरण स्थान की दृष्टि से रौद्र ध्यानी रौद्र ध्यान का कारण और परिणाम रौद्र ध्यानी की लेश्याएँ रौद्र ध्यानी के दोष रौद्र ध्यानी के अनुमापक लिङ्ग धर्म ध्यान के प्ररूपक द्वारों का नामनिर्देश धर्म ध्यानोपयोगी भावनाएँ : नामनिर्देश (1) ज्ञान भावना (2) दर्शन भावना (3) चारित्र भावना (4) वैराग्य भावना धर्म ध्यान योग्य देश धर्म ध्यान योग्य स्थान धर्म ध्यान काल धर्म ध्यान योग्य आसन धर्म ध्यान हेतु योग-समाधान अनिवार्य, देश-काल-आसन नियत नहीं धर्म ध्यान के आलम्बन धर्म ध्यान व शुक्ल ध्यान निग्रह क्रम धर्म ध्यान के ध्यातव्य : नामनिर्देश (1) आज्ञा विचय (2) अपाय विचय (3) विपाक विचय (4) संस्थान विचय धर्म ध्यान का श्रेष्ठ ध्यातव्य : स्वसमय धर्म ध्यान के ध्यातामुनि का स्वरूप धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान के ध्याता की विशेषता धर्म ध्यानी की लेश्याएँ २१ 40-41 84 42-43 44 87 45 88 46-50 88-90 91 51 52 92 53-62 93-96 63 97 64 98 65-66 98-99 67-68 101 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 132