Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 94
________________ के लिए नकरा दें तो चल सकता है ? देवद्रव्य की पूंजी का ब्याज देते रहें तो चल सकता है ? समाधान-३२ : देवद्रव्य से उपाश्रय बना दिया हो तो गीतार्थ गुरु का मार्गदर्शन लेकर जितनी रकम देवद्रव्य को उपयोग हुई हो वह मूल रकम उसके बाजार में चल रहे ब्याज दर से आज तक के ब्याज की रकम के साथ देवद्रव्य में भरपाई कर देनी चाहिए । देवद्रव्य अथवा देवद्रव्य से बनी किसी भी वस्तु को श्रावक के कार्य में सीधा या परोक्ष रूप से उपयोग करना भयंकर कोटि का पाप है । यह दुर्गति की परम्परा बनाने वाला महापाप है । इसलिए उसकी शास्त्र-सापेक्ष मार्ग से तुरंत शुद्धि कर ही देनी चाहिए। ऐसे स्थान पर श्री संघ को श्री जिनभक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई भी आराधना करनी-करानी नहीं चाहिए । ऐसे स्थान पर 'देवद्रव्य से यह उपाश्रय बना है ।' अथवा 'इस उपाश्रय में देवद्रव्य उपयोग किया गया है' ऐसे भाव का बड़े अक्षरों में बोर्ड रखना हितकर है । जब तक शुद्धि का कार्य संभव न हो तब तक मूल पूंजी का बाजार भाव से चलता ब्याज भरना ही चाहिए । मात्र संघ द्वारा निर्धारित अथवा मनमाने ढंग से नकरा देकर ऐसे स्थान का उपयोग करना भी आत्मनाश का ही मार्ग है । देवद्रव्य प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार, नूतन मंदिरों के निर्माण आदि शास्त्रविहित कार्य में ही उपयोग किया जा सकता है । इसमें से उपाश्रय निर्माणादि करना कदापि उचित नहीं है । शंका-३३ : साधु-साध्वी की वैयावच्च का द्रव्य महात्मा की व्हील-चेयर के लिए आवंटित किया जा सकता है ? समाधान-३३ : व्हील-चेयर उपयोग करना साधु-साध्वी के संयम के लिए अत्यंत घातक है । इसलिए उसे प्रोत्साहन देना बिलकुल योग्य नहीं । व्हील-चेयर इस्तेमाल करने के गंभीर नुकसानों के बारे में व्हील-चेयर की बीस व्यथाएँ' नामक लेख पू.आ. श्री अशोकसागरसूरिजी महाराज ने प्रकाशित किया है । इसी प्रकार वि.सं. २०४४ के कुंभोजगिरि तीर्थ में पू.आ.श्री भुवनभानुसूरिजी महाराज तथा उनके समुदाय के वरिष्ठ साधु-भगवंतों की निश्रा में उनकी आज्ञा से एक महात्मा ने व्हील-चेयर के उपयोग के धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?| ७४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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