Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 179
________________ जिनाज्ञा से विपरीत धार्मिक वहीवट करने से लगते हुए दोष : * भगवंत की आज्ञा का भंग । • जैन संघ और दाताओं का विश्वास घात । * कल्याणकारी मोक्षमार्ग के विध्वंस का पाप । * धार्मिक दान - गंगा सुखाने से कर्मबन्ध ! * गलत और झुठी परंपरा से अनवस्था | उपरोक्त दोष लगने से आत्मा अनंतभव तक दुःख, दारिंघ और दुर्गति का भागी बनता है। स्वयं को बचाना अपने हाथ में ही है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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