Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 157
________________ सुविहित परम्परा मान्य है । (३) गुरुपूजन का द्रव्य देवद्रव्य गिना जाता है और जीर्णोद्धार के कार्य में ही लगाया जाता है, यह भी वास्तविक और सुविहित महापुरुषों की परम्परा से मान्य है। इस विषय में द्रव्य सप्ततिका आदि अनेक ग्रन्थों में स्पष्ट उल्लेख प्राप्त होते हैं । परन्तु यहां इस छोटी पुस्तिका में उन सब का विस्तार करना अप्रासंगिक होने से संक्षेप में स्वप्न द्रव्य, देवद्रव्य है और उसका उपयोग प्रभु-भक्ति के कार्य में होता है तथा उसका रक्षण और व्यवस्था कैसी करनी-इत्यादि विषयों को ध्यान में रखकर उपयोगी बातों का बहुत ही स्पष्टता और सचोट रीति से, पुनरुक्ति दोष की चिन्ता न करते हुए प्रतिपादन किया गया है। सुज्ञ वाचकवर्ग हंसक्षीर न्याय से निष्पक्ष भाव से प्रस्तुत पुस्तिका का अवगाहन करके शान्त-स्वस्थ चित्त से मनन-निदिध्यासन करके सार को ग्रहण करे; यही शुभ कामना । स्वप्न द्रव्य - देवद्रव्य ही है। पुस्तक में से साभार धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ? | चमद्रव्य का संचालन कस कर चरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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