Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 137
________________ आनन्द हुआ है । हम सब सुखशाता में हैं । आप सब सुखशाता में होंगे । आपने लिखा कि स्वप्न, पारणा, घोडियां तथा उपधान की माला की बोली का घी किस खाते में ले जाना ? इसका उत्तर है कि पारणा, घोडिया तथा श्री उपधान की आय या घी देवद्रव्य खाते में ले जाई जाती है । साधारण खाते में नहीं ले जाई जाती । अतः उपधान आदि घी की आय देवद्रव्य में ले जानी चाहिए । धर्मसाधना करियेगा । (१३) पगथिया का उपाश्रय. हाजा पटेल की पोल अहमदाबाद श्रावण सुदी १४ सुश्रावक अमीलाल रतिलाल योग धर्मलाभपूर्वक लिखना है कि देवगुरु प्रसाद से यहां सुखशाता है । तारीख १०-९-५४ का लिखा हुआ आपका पत्र मिला । समाचार जाने । इस विषय में लिखना है कि - . चौदह स्वप्न, पारणा, घोडियाँ सम्बन्धी तथा उपधान की माला सम्बन्धी आय देवद्रव्य में आती है । साधारण खाते में उसे ले जाना उचित नहीं है । इस सम्बन्ध में राजनगर के जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक मुनि सम्मेलन का ठहराव स्पष्ट निर्देश करता है । धर्मसाधना में उद्यमशील रहना । लि. 'आ. विजयमनोहरसूरि का धर्मलाभ' (१४) तलाजा ता. १३-८-५४ लि. विजयदर्शनसूरि आदि । __तत्र देवगुरु भक्तिकारक शा. अमीलाल रतिलाल योग्य वेरावल बन्दर; धर्मलाभ । आपने चवदह स्वप्न, घोडिया, पारणा तथा उपधान की माला की उपज साधारण खाते में ले जाना या देवदव्य खाते में ? यह पूछा है । इस विषय में लिखना है कि जो प्रामाणिक परम्परा चली आ रही है उसमें परिवर्तन करना उचित नहीं है । एक परम्परा तोड़ी जावेगी तो दूसरी परम्परा भी टूट जाने का भय रहता है । अब तक तो वह आय देवद्रव्य खाते ही ले जाई जाती रही है । अतः उसी तरह वर्तन करना उचित प्रतीत होता है । | धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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