Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

Previous | Next

Page 130
________________ प्रश्न है। क्योंकि जब ढाई रुपये के पांच रुपये भाव करेंगे तो स्वाभाविक रूप से कम घी बोला जावेगा। इसलिए मूल आवक में परिवर्तन हो सकता है । साथ ही मुनि सम्मेलन के समय-आधा साधारण खाते में ले जाने का निर्णय नहीं हुआ है । तो भी आप वयोवृद्ध आचार्यश्री विजयसिद्धिसूरिजी तथा विजयनेमिसूरिजी महाराज को पूछ लेना। आप जैसे गृहस्थ धारें तो साधारण में लेशमात्र भी कमी न आवे । न धारें तो कमी आने की है ! सब से उत्तम मार्ग तो जैसा पहले है वैसा ही रखना है । कदाचित् आप के लिखे अनुसार आधा-आधा करना पड़े तो ऊपर सूचित दो स्थानों पर पूछकर कर लेना । यह बराबर ध्यान में लेना । धार्मिक क्रिया करके जीवन को सफल करना । अहमदाबाद तक कदाचित् आने का प्रसंग आवे तो पाटण नगर के देरासरजी की यात्रा का लाभ लेना । COOOOOOOO.. धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180