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धर्मपरी ॥ १॥
कम थावीया, सफल जमारो थाप । ए॥ नारद बोस्या ततखिणे, विरोचन सुखनी खंग? खाण ॥ तुम धरणीने जोश्ने, थमने सफल विहाण ॥ १० ॥
ढाल बारमी. कुखडी ते काजल सारे, ए तो जमर नजारां मारे राज ॥ ए तो फुलमीनो रूप रंग
जोजो-ए देशी. राजाए तव पाणी नार राज, कर कांकण बोड्युं तेणी वार राज ॥ तुमे सांजलजो सहु को॥ ए आंकणी ॥नारायण हुवा तव त्यार राज, विस्मय पाम्या लोक अपार राज ॥तु ॥१॥ एक कहे कारण केस्युं राज, नांदी जेवहुं पेटज एस्युं राज ॥तु॥एक कहे । नारायण नोहे राज, विपरीत रूप सही सोहे राज ॥तु॥॥एक कहेगोविंदनी लीस राज, देव चरित्र जाणे नवि सील राज ॥तु॥एक कहे केम वाध्यु पेट राज, जश् पूबीए राजाने ठेठ राज ॥ तु ॥३॥ तव पूज्या विरोचन राज राज, तुमे शुंकीधुंएह अकाज राज ॥तु॥ विष्णु तणुं वधार्यु पेट राज, पापे करी जाशो तुमे हे राज ॥ तु॥४॥ राजा सव फांखो थयो त्यहिं राज,कालु मुख ले गयो घर मांहीं राज ॥तु॥ःख सोग करे थपार राज, हुं केम बुटीश एह संसार राज ॥ तु ॥५॥ हर ब्रह्माए तेड्या||||