Book Title: Dharm Parikshano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 308
________________ धर्मपरीदा ॥॥ सोमशर्मा मंत्रीश्वरे, राण कथा सुणी नीम लीध हो ॥ लोहायुध धरूं| खंमत नहीं, रा० काठ कृपाणज कीध हो ॥ दा० ॥ ॥ पिशुने काठ कृपाणनी, राण ॥१५३॥ नूपतिने वात ते नाषी हो ॥ सना मांहे नृप बेसीने, रा० असिनी वात प्रकाशी हो ॥ दा० ॥॥ खड्ग जोश क्षत्रिय तणां, राम मंत्रीनो थसि माग्यो हो ॥ खल| विलसित जाण्यु खलं, रा० नरम सही मुज नांग्यो हो ॥ दा ॥ १० ॥ यतः-परवादे दशवदनः । पररंध्रनिरीक्षणे सहस्रादः ॥ . सधृती वित्तहरणे । बाहुसहस्रार्जुन पिशुनः॥१॥ साचो धरम जो माहरो, रा तो लोहमय असि थाजो हो ॥ एम कही राजाने | दीयो, राग संकट पूरे जाजो हो ॥ दा ॥ ११॥ कोश थकी राये काढी, राम लोह फलहलतो दीठ हो ॥ खल साहमुं जो कहे, रा० केम जूतुं कडं धीठहो॥दा॥१२॥ यतः-सर्वदेवमयो राजा । वदंति विबुधा जनाः ॥ तस्मात्तत्पुरो नैव । वदेन्मृषा कथंचन ॥१॥ | ॥१५३॥ ___ कालो चुगलने नृप वदे, रा तव मंत्री एम आखे हो ॥ कोप प्रजुजी मत करो, रा ए जू नवि लाखे हो ॥ दा० ॥१३॥ में जिनधर्मज आदर्यो, राण जाण्यो लोहनो

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