Book Title: Devdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Author(s): Sarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
Publisher: Sha Sarupchand Dolatram Mansa
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( ८० )
अन्नया देवी नच्चइ | राया वीणं वाएइ
भावार्थ - प्रभावती देवी ( राणी ) ने अंतःपुरमें जिनमंदिर बनवाया और स्नान करके तीनोकाल पूजन करती है । एक दिन देवी ( प्रभावती ) नाचती है और राजा वीणा बजाता है ।
देखिए ! आवश्यकसूत्रके इस पाठले भी शहर में जिनमंदिर का होना सिद्ध होता है । तथा निशीथचूर्णिके दशमें उद्देशमें भी ऐसा पाठ आता है कि ' प्राचीन कालमें भी शहरों में मंदिर बनते थे '
तद्यथा
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" ताहे पभावई पहाया कयकोउयमंगला सुकि लवासपरिहाणपरिहया बलिपुप्फधू कडु हत्था गया । ततो पभावतीए चच्चं बलिमाविकाउं भणियं देवाधिदेवो महावीरबद्धमाण सामी तस्स पडिमा कीरउत्ति पहाराहि वाहितो कुहाड़ो एगघाए चैव दुहाजातंपेछ्रति य पुव्वाणवत्तियं सव्वालंकारविभूसियं भगवओ पडिमं साणेउं रण्णा घरसमीवे देवा - लयं काउं तत्थ ठबिया. "
भावार्थ - उस वक्त प्रभावतीने स्नान किया और किया है कौतुक मङ्गल जिसने और पहिने हैं शुक्ल वस जिसने तथा बलीपुष्प - धूपदाना है हाथ में जिसके ऐसी प्रभावती वहां पर आई और बली धूप वगैरहसे गोशीर्षचंदन की पेटीका पूजन करके कहा कि - ' श्रीदेवाधिदेव श्रीमहावीर वर्द्धमानकी प्रतिमा हो, ' ऐसा
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