Book Title: Devdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Author(s): Sarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
Publisher: Sha Sarupchand Dolatram Mansa
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( १२२ )
वाले क्रियाउद्धारशब्दको प्रभुके साथ लगाना कितनी अधमताकी निशानी है । समस्तजैन समाजको याद रखना चाहिये कि बेचरदासपर मिथ्या शल्यका बड़ा भारी बुरा असर छाया हुआ है, इसलिये इसके वचनशल्यसे बचे रहना जो तुझारे हृदयमें अगर उसका वचनशल्य घुस गयातो मिध्यात्वशल्पके मारे अनन्तभवों तक रुलना पडेगा ।
तटस्थ - मिथ्यात्वशल्यको किसी उदाहरणसे घटाकर बतलाइये. और उस शल्यके होनेसे कैसी दुर्दशा होती है सो बतलाइए ।
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समालोचक - देखिए ! मिथ्यात्वशल्य किस तरह दुःखदाई होता है उसका एक दृष्टांतद्वारा फोटो खींचता हूं । किसी आदमीके पास प्रथम बहुत धनथा, परन्तु पीछेसे भाग्यने पल्टा खाया और आहिस्ता २ सब धन नष्ट होगया, मात्र पांचसौ रूपये उसके पास बाकी रहगये थे, तब उसने बिचार किया कि विदेशमें जाकर कुछ अपूर्वचीज खरीद लाऊं जिसको देशमें बेचनेसे अच्छा नफा रहे, वह दुर्भागी मनुष्य जिस देशमें रहता था. उस देश में कोल्हा फल नहीं होता था, और खरगोश ( ससा ) भी नहीं होता था, तदनन्तर वह विदेशमें गया और देखा तो किसी एक नगरके शाकबाज़ार में एक आदमी कोल्हे बेच रहाथा । उसको उसने प्रथम अपनी बात सुनादी कि ' मुझे पांचसौ रूपयेका ऐसा माल खरीदना है कि जिसको मैं अपने देशमें बेचूं तो दूना दाम पैदा
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