Book Title: Devdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Author(s): Sarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
Publisher: Sha Sarupchand Dolatram Mansa
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हमारे पाठकोंको सावधान करते हैं कि - याद रहे कि इस गप्पीदास के गप्पगोलेमें विश्वास नहीं रखना चाहिये। क्योंकि महान् धर्मधुरंधर पूर्वाचार्यों के रचे हुए साहित्यग्रन्थका कोई अंश आगमविरुद्ध नहीं है । मात्र ' विनाशकाले विपरीतबुद्धिः ' इस कहावत के अनुसार बेचरदासकी बुद्धिमेही विपर्यय हो गया है ।
बेचरदास - " कमनशीबे हालमां साधुओ एम कहे छे के आ आगमो श्रावको वांची शके नहीं । याद राखो के आ आगमो हाल मां श्रावको सांभली शके छे अने ते सामे साधुओंनो बांधो नथी बल्कि साधुओ पोतेज संभलावे छे " इत्यादि.
समालोचक--बेचरदास ! अधिकार वगैर श्रावक लोग अगर आगमशास्त्र पढ़े तो उनको लाभके बजाय बड़ी भारी हानि पहुंचती है । उदाहरण में तुमही हो, क्योंकि सूत्र स्वयं बांचनेसे तुह्मारी बुद्धिका नाश हुवा प्रत्यक्ष नजर आता है, अन्यथा वज्रस्वामी आर्यरक्षित जैसे महात्माओं को भी तुम अंधेरा तेरनेवाले कदापि नहीं कहते । अत्र बिचार करोकि जो सूत्रपठन मोक्ष देनेवाला है वही अधिकार वगैर तुमको नरकादि अधोगतिका देनेवाला हो गया । बस यही कारण है कि श्रावकको सूत्रपढ़नेकी मनाई साधुओंकी तरफसे नहीं किन्तु परमात्मा की तरफते है ।
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तटस्थ -- आपने यह क्या सुनाया ! क्या ऐसा बन सकता है कि जो जैनसूत्रका पठन मोक्षदेनेवाला है वही अधिकार वगैर पढ़नेवालेको नरकादि देनेवाला बन जाय ?
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