Book Title: Devdravyadi Ka Sanchalan Kaise Ho
Author(s): Kamalratnasuri
Publisher: Adhyatmik Prakashan Samstha

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Page 13
________________ की होती है । यह अनुकंपा-जीवदया में फर्क है । जरूर पडने पर अनुकंपा की रकम जीवदया में ले सकते है परंतु जीवदया की रकम अनुकंपा में नहीं ले सकते। १७. जीवदया :- इस खाते का द्रव्य प्रत्येक तिर्यंच, पशुपक्षीओं की दव्य तथा भावदया के कार्य में अन्नपान, औषधि आदि से प्रत्येक साथनों द्वारा उनका दुःख दूर करने के लिए मनुष्य को छोडकर प्राणीमात्र की दया के कार्य में खर्च सकते हैं । यह द्रव्य सामान्य कोटि का होनेसे अन्य किसीभी खाते में खर्च सकते नहीं । जीवदया की रकम जीवदयामें ही खर्च कर सकते हैं। . १८. शुभखाता :- किसीभी अच्छे कार्य के लिए वापरने के शुभ उद्देश्य से दिया गया या एकत्रित किया द्रव्य । सातक्षेत्र, अनुकंपा जीवदया सहित किसीभी शुभकार्य में जरूरत अनुसार तथा धर्मशास्त्रानुसार उपयोग कर सकते हैं। १९. व्याज आदि की आय :- जिस खाते के रकम की ब्याज की आय हो अथवा भेंट आदि द्वारा जो वृद्धि हो वह रकम उन उन खातों में खर्चनी चाहिए । जरूरत से ज्यादा द्रव्य हो तो अन्य किसीभी गाँव में उन उन खातेमें वह द्रव्य देवें । यह जैनशासन की मर्यादा हैं। देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो? * ८ D

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