Book Title: Devdravyadi Ka Sanchalan Kaise Ho
Author(s): Kamalratnasuri
Publisher: Adhyatmik Prakashan Samstha

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Page 42
________________ १२. आ. श्री वि. वल्लभसूरिजी भी ने पुरुषों की सभा मे साध्वीजी के व्याख्यान के विरोधी थे एवं स्वप्न द्रव्य को देव-द्रव्य ही माना है 1 साध्वीजी द्वारा पुरुषों को सभा में व्याख्यान वांचने का विरोध शास्त्रानुसार व्यक्त करते हुए आचार्यजी वल्लभसूरिजी लिख रहे हैं कि " महावीर स्वामी की ३६ हजार साध्वियोंने अनेक प्रकार के तप किये तथा एका-दशांग शास्त्र पढे है परंतु किसी साध्वीने कोई पुस्तक नहीं रची है और न पुरुषों की सभा में बँढकर उपदेश किया है" इत्यादि अपना मन्तव्य सचोट एवं निर्भयता से प्रकट किया है। बाद में वे स्वप्न की उपज के सम्बन्ध में अपने विचार इस पुस्तक में स्पष्ट करते है । पृष्ट ८६ पर इस प्रकार लिखा कि देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो ? * ३७

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