Book Title: Devdravyadi Ka Sanchalan Kaise Ho
Author(s): Kamalratnasuri
Publisher: Adhyatmik Prakashan Samstha

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Page 41
________________ प्र-८ : आंगी की बढ़ोत्री किस खाते में गिनी जाय ? उत्तर : आंगी की बढोत्री निकालना उचित नहीं है । क्योंकि उसमें कपट क्रिया लगती हैं । इसलिए जिसने जितने की आंगी करवाने का कहा है उतने पैसे खर्च करके उसकी तरफ से आंगी करवानी चाहिए । षडावश्यक प्रश्नावली लेखक मुनि श्री जयानंद विजयजी प्रश्न- १५६ : जिन मंदिर के पुजारी को वेतन किस द्रव्य से देना ? उत्तर : जिन पूजा अपने स्वयं के लिए करने की है जिससे अपने को समयाभाव आदि के कारण अगर प्रभु पूजा के लिए पूजारी रखना ही पडे तो उसका वेतन खूद का या साधारण खाते में से देना चाहिए । न कि देव द्रव्य से । प्रश्न- १५३ : प्रतिष्ठा के समय बोली के रूपयों से न्याति नोहरा स्कूल आदि बनवा सकते है ? उत्तर : नहीं । नौकारशी आदि साधारण के चढ़ावे की रकम धर्मकार्य (सांत क्षेत्र) में खर्च की जा सकती है, लेकिन न्याति नोहरा स्कूल आदि पाप कारी कार्य में खर्च करने से जिनाज़ा का भंग करने का पाप लगता है । उस कार्य को करनेवाले एवं उसका उपयोग करनेवालों को दुर्गति प्रायोग्य कर्म का बंध होता है। देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो ? * ३६

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