Book Title: Devdravyadi Ka Sanchalan Kaise Ho
Author(s): Kamalratnasuri
Publisher: Adhyatmik Prakashan Samstha

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Page 59
________________ १७. देवद्रव्यादि सात क्षेत्रो की व्यवस्था का अधिकारी कौन ? - अहिगारी य गिहत्थो सुह-समणो वित्तम जुओ कुलजो । अखुद्धो धिई बलिओ, मइमं तह धम्म - रागी य ॥५॥ गुरु-पूआ-करण रई सुस्सूआ- इ गुण संगओ चेव । णायाऽहिगय-विहाणस्स धणियमा-णा-पहाणोय॥६॥पञ्चाशक ७. द्रव्य सप्ततिका ग्रन्थ में पूज्य महोपाध्याय श्री लावण्य विजयजी गणिवर्य ऊपर मुजब पंचाशक प्रकरण ग्रन्थ के अनुसार बताते है कि धर्म के कार्य करने में अनुकुल कुटुम्ब वाला, 'न्याय नीति में प्राप्त धनवाला', लोको से सन्माननीय, उत्तम कुल में जन्म लेने वाला, 'उदारदिल वाला', धैर्य से कार्य करने वाला, बुद्धिमान, धर्म का रागी. गुरुओ की भक्ति करने की रति वाला, शुश्रूषादि बुद्धि के आठ गुणो को धारण करने वाला और शास्त्राज्ञा पालक देवद्रव्यादि सात क्षेत्रो की व्यवस्था करने का अधिकारी होता है। विशिष्ट अधिकारी कौन ? । मग्गाऽ-नुसारी पायं सम्म – दिछी तहेव अणुविरइ एएऽहिगारिणो इह, विसेसओ धम्म – सत्थम्मि ॥७॥ मार्गानुसारी, अविरति सम्यग्दृष्टि, देशविरतिवाला, धर्म शास्त्रों के अनुसार व्यवस्था करनेवाला ही प्रायः करके विशेष अधिकारी होता है । (धर्म संग्रह से उद्धृत)। जिन पवयण-वृद्धिकरं पभावगं नाणदंसणगुणाणं वड्ढन्तो जिणदव्वं तित्थयरत्तं लहइ जीवो, रकबंतो जिणदबं परित्त संसारिओ होई । (श्राद्धदिन-कृत्य गा. १४३-१४४) र देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो ? * ५४

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