Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 21
________________ (निमित्तशास्त्रम्) [ ¢ देश में घोर युद्ध होगा और शस्त्रास्त्रों की धूम मचेगी । हेमन्तऋतु के वातावरण में सर्दी होती है और ग्रीष्मऋतु के वातावरण में उष्मा होती है। इस स्वाभाविक दशा से विपरीत वातावरण होने पर उस देश में मनुष्यों की बीमारियों के कारण मृत्यु होगी । जिस देश में ऐसा ज्ञात हो कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य के भीतर से अग्नि की चिनगारियाँ निकल रही है, उस देश का विनाश अवश्यम्भावी है । रादि सूर्य से धूलिया धूआँ निकलता हुआ होता हो तो एक वर्ष के अन्दर उस देश के राजा की मृत्यु होगी । सूर्यास्त के समय में उसके भीतर से मछली के आकार का जाज्वल्यमान चिह्न दिखाई पड़ने पर उस क्षेत्र के मनुष्यों को भय उत्पन्न होगा ऐसा जानना चाहिये। उस समय सूर्य से लम्बी ज्वाला उठती हुयी दिखाई देना उस देश का छह माह के अन्दर विनाश हो जायेगा इस बात को सूचित करता है। सूर्यास्त के समय सूर्य के पास उद्योतित दूसरा सूर्य दिखाई दें तो राजा और प्रजा दोनों को भी निकट भविष्य में कष्ट होने वाला है, ऐसा प्रकट करता है । सूर्य के टुकड़े-टुकड़े दिखें, उसमें धूआँ या धूलि दिखाई देवें, सूर्य के चारों ओर पीले रंग का अथवा काले रंग का मण्डल दिखाई देवें तो उस देश में दुर्भिक्ष होगा व नौ रस में विकार हो जायेगा । सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य में छेद दिखाई देने पर उस क्षेत्र में दो माह में यह हो सकता है। सूर्यास्त के समय सूर्य के भीतर से धूओं के गोले निकलते हुए दिखने पर उस दिन से तेरहवें दिन के अन्दर युद्ध हो सकता है। सूर्योदय के समय में दसों दिशायें पीत, हरित या अनेक वर्ण वाली दिखाई पड़ें तो प्रजा सात दिनों में रोग को प्राप्त होगी। सूर्योदय 'के समय में दसों दिशायें नील वर्ण वाली हो तो समय पर वर्षा होगी। सूर्योदय के समय में दसों दिशायें काले वर्ण वाली हो तो बालकों में रोग, फैलते हैं। - सूर्योदय के उदयकाल में शुक्लवर्ण की परिधि दिखलाई देने पर राजा को विपदा प्राप्त होती है। सूर्योदय के उदयकाल में लालवर्ण की परिधि दिखलाई देने पर सेना के बल की वृद्धि होती है।

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