Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 57
________________ -- ---निमित्तशास्त्रम्------ Saraswireek राजोत्पातप्रकरण छत्तोणुज्जलदंतोजइपडइणरवइस्सपासम्मि। ___ अहपंचमम्मिदिवसेजरपइ सुतिणायव्यो।९३|| अर्थ : यदि छत्र अथवा चमर अपने आप टूट कर राजा के पास आकर पड़े, तो राजा की पाँचवें दिन मृत्यु होगी। अहणंदितूर संखा वज्जंतिअनहया विफुदंति। अहपंचमम्मि मासेणरवइमरणंचणायव्यो॥९४|| अर्थ :है जहाँ ढोलक, तुरंग, तुरई और शंख के अपने आप बजने की, आवाज कानों में सुनाई पड़ती हो, वहाँ अवश्य ही पाँचवें माह में राजा की मृत्यु हो जायेगी। है चावंमुसली सत्तीसतोणचंताणवर जच्छदीसंति। ___ अहपंचमम्मिमासेणरवाणासुत्तिणायव्यो॥९५|| अर्थ :ॐ जिस स्थान पर यक्ष मूस से लड़ते हुए दिखाई देवें, वहाँ पर पाँचवें, माह में राजा की मृत्यु होगी। कोटणयरस्सदोर देवल चउप्पहेय रायगिहे। अह तोरणेय इंदो णिद्धसण सोहणंणीऊ॥९६|| अर्थ : नगर या कोट के दरवाजे पर, देव के मन्दिर पर, राजमहल पर अथवा चौराहे पर पक्षी लड़ते हुए दिखें अथवा नाचते हुए दिखें, तो उसका र फल निम्नरूप से जानना चाहिये ।

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