Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 62
________________ तोकुणइराइमरणंदेसविणासंपुणोपच्छा।।१०९॥ अर्थ : यदि इन्द्रधनुष से घूआँ निकलता हुआ दिखे और उसके चारों । ओर अग्नि की चिनगारियाँ उठती दिखाई देवे तो राजा की मृत्यु होगी। * और बाद में उस देश का नाश होगा। है वेठिज्जइएहिज्जइ महुजालेहिंफीडए हिंवा। है तोजाण मारिघोराजणसरोगंच दुभिक्खं॥११०|| अर्थ :ए यदि मधुमक्खी के छत्ते के समान इन्द्रधनुष नगर को घेर लेवे तो ऐसी घोर महामारी होगी जिससे मनुष्यों को कष्ट होगा व राज्य में अकाल पड़ेगा ऐसा जाजो। इंदद्दयमारुढो रिठोज्जइकुणइबहुविहारावं। अक्खइसोपुरभंगचणोयमेणा-----||१११॥ अर्थ : यदि एक के ऊपर एक दो इन्दधनुष दिखाई देवे तो मनुष्यों की हर तरह से हानि होगी एवं नगर का विनाश होगा। एदेपुणउप्पादा सव्वेणासंतिवरिसदेसंति। पंचदिणभंतरदोअहवापुण सत्तरत्तेण॥११२|| अर्थ : इन्द्रधनुष सम्बन्धित ये कुफल पाँच दिन, सात दिन या एक वर्ष के अन्दर अवश्य दिखाई देगें। ___ यदि सोमोणिसुद्दोउढदिणुप्पादवज्जिदोसंतो। __ रण्णेपुरासहोहदिखेमसिवंतम्मिदेसम्मि॥११३॥

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