Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 88
________________ निमित्तशास्त्रम [७५ ] * ईशानकोण में तिरछी चमकती हुई बिजली पूर्व दिशा की ओर गमन करे तो जल की वर्षा होती है। यदि इस कोण की बिजली गर्जना के साथ चमके तो उसे तूफान की सूचना समझनी चाहिये । आषाढ़ और श्रावण माह में उत्तम प्रकार की विधुत का यह फल धाटत होता है। दक्षिणदिशा में बिजली का प्रकाश उत्पन्न हो और सफेद रंग । है की चमक दिखाई पड़े तो सात दिनों तक लगातार जल की वर्षा हो सकती है। दक्षिण दिशा में यदि मात्र बिजली की ही चमक दिखाई पड़े। तो धूप होने की सूचना समझनी चाहिये । जब लाल और काले रंग के बादल आकाश में छाए हुए हो और बार-बार तेजी से बिजली चमकती हो । तो साधारणतया पूरे दिन धूप रहने के पश्चात् रात में वर्षा होती है। दक्षिणदिशा से पूर्व दिशा में गमन करती हुई बिजली चमके और उत्तर दिशा में इसका तेज प्रकाश भर जाये तो तीन दिनों तक सतत जल की वर्षा होती है। यहाँ इतना और विशेषरूप से समझा लेना चाहिये कि वर्षा । है के साथ-साथ ओले भी पड़ते हैं। यदि इसप्रकार की बिजली शरदऋतु में । चमकती है तो जियम से ओले ही पइते हैं, जल की वर्षा नहीं होती। ग्रीष्म ऋतु में उक्त प्रकार की बिजली चमकती है तो वायु के साथ तेज धूप पड़ती है परन्तु वर्षा नहीं होती। गोल आकार के रूप में दक्षिणदिशा में बिजली चमके तो आगे आने वाले ग्यारह दिनों तक जल की अखंडित वर्षा होती है। इस प्रकार की बिजली अतिवृष्टि की सूचना देती है। आषाढ़ वढी प्रतिपदा को दक्षिणदिशा में आवाजरहित बिजली १ चमकती है तो आगामी वर्ष में फसल निकृष्ट होती है । उत्तरदिशा में * आवाजरहित बिजली चमकती है तो फसल साधारण होती है । पश्चिम दिशा में आवाजरहित बिजली चमकती है तो फसल मध्यम होती है और पूर्वदिशा में शब्दरहित बिजली चमकती है तो उस वर्ष में फसल बहुत अच्छी होती है। यदि इन्हीं दिशाओं में शब्दसहित बिजली चमके तो क्रम से आधी, तिहाई, साधारणतः पूर्ण और सवाई फसल उत्पन्न होती है। यदि आषाढ वदी व्दितीया चतुर्थी से विद्ध हो और उसमें दक्षिण दिशा से निकलती हुई बिजली उत्तरदिशा की ओर जाटो तथा इसकी चमक बहुत तेज हो तो उसे घोर दुर्भिक्ष की सूचना समझनी चाहिये। इस

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