Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal
View full book text
________________
निमित्तशास्त्रम
१५७
FFrNE
१११) ६१ एए रिक्खव योगा १७५ ५३ जइ मयरिसम्मि वरसह १६८ ६२ एकइसे चलिए ७५ ९४ जइ मुंचइ धूमं वा १०९ ६३ एढे पुण उप्पादा ११२ १५ जइ सिवलिंगं फुटव ८७ ६४ एयंतेणउववाह १४५ ९६ जइ सुक्खो विश रुक्खो ६५ एवं बहुप्पयारं __ १८७ २.७ जइ सुरगुरुणा सहिओ १८० ६६ कच्छाइ णदो सियचडि ८५ ९८ जदि चंडवायु वायदि २७ ६७ करिकुंभछत्तसरिसा १५३ ९९ जम्मा दु पुणो दिवो ६८ का इच्छंता दासई ३२ १०६.अस्सपरिवरं पडिदा १३० ६५ किण्णो सुद्द विणासो ३९ १०१ जिडिसु अण्णादिही ७० किण्हो वच्छविणासो १४२ १८२ जूवी हलो विदीसइ ७१ कित्तिय रोहिणिमज्झे १३१ १०३ जे चारणेण दिहा ७२ केउरस सुहानिपुण्ये १७७ १०४ जे दिह भुविरसण्ण ७३ कोट जयरस्सहोर ९६ १०५ जे मंडलाय प्रछिया ७४ गामे वा णयरे वा ६५ १०६ णमिऊण वद्यमाणं ७५ मिम्मेण णयरधादी १३७ १०७ णम्मि यदि तं कंकाल ५५ ७६ गेहोणि ते कुणंतं ५८ १०८ णय कुव्वंति विणासं
७५ चंदो सरूपसरिसो ३३ १०६ णयररस रच्छमझे ३ ७८ चावं मुसली सत्ती ९५ ११० गरणूवेणश्रेणं गीढो १४
७९ चित्तलयंत्तिल्लाणं १२० १११ परवइपहाणमरणं ८० चित्तलबोभयजणणी १४१ ११२ णाइणि गब्भविणासं ८१ चित्ता हि मंदवरिसं १७१ ११३ णाणा दुमउग्रणीयदि ८२ चोरा लुपंति मही १३२ ११४ णाणा बहत्तमणा ८३ छत्तस्स पुणो भंगो ७२ ११, णावालंगलसरिसो ८४ छत्तोनुज्जलदंतो ९३ ११६ गुत्तरणुत्तरियाणं ८५ छाइज्जइ महेणं १४७ ११७ गुप्पयवण्णसरिच्छा ३० ८६ छित्तेण कोई पुच्छ २८ ११८ तसं सोणासदि ८७ जइ छलएहि गीढ़ो ६३ ११९ तित्वयरछत्तभंगे ८८ जइ धुवमज्हो हींसह १८४ १२० दक्षिणदिसम्मि दिहो ८९ जइ पुण एए सव्वे ७८ १२१ दिवसे उलूट हिंडति ९० जइ पुच्छं तत्थ भयं १७९ १२२ दिवहे दीसइ धणुओ ९१ जइ बाला हिंडता ११५ १२३ देवा णवंती जिहं ९२ जड़ मच्छासरिमेणं १३ १२४ देवणुले विप्पभओ
१३
tvo
१००

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133