Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 101
________________ --निमित्तशास्त्रम् - [८८ यद्यपि चातुर्मास में वर्षा अच्छी होती है फिर भी फसल में न्यूनता ही पायी जाती है। पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र के अन्तिम घटिकाओं में जलवर्षा होने पर अगहन में अच्छी वर्षा होती है, फसल भी अच्छी होती है। म यदि उक्त नक्षत्र के मध्यभाग में वर्षा होती है तो अवश्यकतानुसार जल बरसने से फसल अच्छी होती है ! उक्त वर्षा व्यापारियों के लिए हानिकरक होती है। र यदि उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र से विद्ध होकर पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र में वर्षा होना शासकों के लिए अशुभकारक है। इससे देश की समृद्धि में कमी आती है। १२६ - उतराभाद्रपदा :- उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र में प्रथम वर्षा हो तो चातुर्मास में वर्षा अच्छी होती है। अधिक वृष्टि के कारण फसल नष्ट होने के की पूर्ण सम्भावना रहती है। कार्तिकी फसल में कमी आती है परन्तु क्षेत्रीय फसल अच्छी होती है। ज्वार और बाजरा की फसल अत्यल्प होती। Nagar उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र के प्रथम चरण में वर्षा आरम्भ होकर बन्द हो जावे तो कार्तिक माह में पानी नहीं बरसता परन्तु शेष माह में वर्षा है होती है और फसल अच्छी होती है। विद्वतीय चरण में वर्षा होकर तृतीय। चरण में समाप्त होने पर वर्षा समयानुकूल होगी । तृतीय चरण में वर्षा होने पर चातुर्मास में वर्षा होने के साथ-साथ मार्गशीर्ष और माघ माह में भी पर्याप्त वर्षा होती है । चतुर्थ चरण में वर्षा आरम्भ होने पर भाद्रपद । माह में अत्यल्प पानी बरसता है। आश्विन माह में अति-साधारण वर्षा । होती है। माघ मास में वर्षा के कारण गेहूँ और चने की फसल अच्छी होती २२७. रेवती :- वर्ष की प्रथम वर्षा रेवती नक्षत्र में होने पर सारे अनाजों । का भाव ऊँचा-नीचा हो जाता है । वर्षा साधारणतः अच्छी होती है। इस वर्षा में श्रावण मास के शुक्लपक्ष में केवल पाँच दिन ही वर्षा होगी। भाद्रपद और आश्विन मास में यथेष्ट जल बरसता है । भाद्रपद मास में वस्त्र और सारे अनाज महँगे हो जायेंगे। कर्तिक मास के अन्त में भी वर्षा होगी।

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