Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 73
________________ ----निमित्तशास्त्रम्----- ६० गन्धर्वनगरप्रकरण पुव्वदिस्सम्मिय भाएदीसदिगंधध्वसण्णिहोणयरो। पच्छिमदेस विणासोहोहइतत्थेवणायव्यो।।१३४|| अर्थ : यदि गन्धर्वनगर पूर्व दिशा में दिखाई देवे तो पश्चिम देश का नाश होगा ऐसा जानो। ६ दक्खिणदिसम्मिदिडोरायाण विणासणोहवेणियरे। अह पच्छिमेणदीसइहणइपुणपुव्वदेसोई॥१३५|| अर्थ : दक्षिणदिशा में यदि गन्धर्वनगर दिखाई देवे तो राजा का नाशहोगा और पश्चिमदिशा में गन्धर्वनगर दिखाई देने पर पूर्व दिशा के देशों का नाश शीघ्र ही होगा। णुत्तरणुत्तरियाणणयराणविणासणोहवइ दिहो। हेमंते रोयभयं वसंतमासेसुभिक्खयरे||१३६|| अर्थ :8 उत्तरदिशा में यदि गन्धर्वनगर दिखाई देवे तो उत्तरदिशा वालों का नाश होता है। यदि हेमन्तऋतु में गन्धर्तनगर दिखाई पड़े तो रोग का. भय व वसन्तऋतु में गन्धर्वनगर दिखाई देने पर सुकाल करता है। है गीम्मेणणयरघादी पाउसकाले असोहणोदिहो। वरिसाभयदुभिक्खंसरए पुणवहि पीङयरो॥१३७|| अर्थ : ग्रीष्मऋतु में दिखाई देने वाला गन्धर्वनगर नगर का नाश करने वाला है। यदि गन्धर्वनगर वर्षाऋतु में दिखे तो पानी कम होगा अर्थात्

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