Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ ........- me-सिमिविशिवाय दुष्काल पड़ेगा । यदि शरदऋतु में गन्धर्वनगर दिखाई पड़े तो मनुष्यों को पीड़ा देता है। रिउकालमऊ एसोरयक्खय हिंङमाणणूवस्स। मज्झणेरायाणेछम्मासेसोविणासेई॥१३८|| अर्थ : शेष ऋतुओं में गन्धर्वनगर दिखाई देने पर उसके फलस्वरूप राजा का नाश छह माह के अन्दर होगा। तसंसोणासदिजत्थपहिडंति दीसएराई। पच्चूसेचोरभयंणरवइणासंचपुणएहं॥१३९॥ अर्थ : गन्धर्वनगर यदि रात को दिखे तो वह देश का नाश करेगा। यदि कुछ रात्रि शेष रहने पर गन्धर्वनगर दिखे तो चौरभय और राजा 9 का नाश होगा। ई अणकालम्मिदिठेसुभिक्खयरोग उहदेसयरो। । जइमवण्णइदीसएहणऊअणेयाय विसयाइ॥१४०|| अर्थ : उपर्युक्त समय से अन्य समयों में दिखाई देने वाला गन्धर्वनगर सुभिक्ष की और रोग दूर करने की सूचना देता है। चित्तलवोभयजणणोसामारोयस्ससंभवाहोई। घिय तिल्ल खीरघादी सुक्किलऊहोय लोयस्स॥१४१॥ अर्थ : यदि गन्धर्वनगर पंचरंग का होवे तो वह नगरभय और रोगभय को करने वाला होता है । श्वेतवर्ण वाला गन्धर्तनगर घी, तेल और दूध के नाश को सूचित करता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133