Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 76
________________ DCHधका निर्मितशास्त्रम चिंतेइदेसणासंवाहीमरणंचदुभिक्खं॥१४६॥ अर्थ :* यदि गन्धर्वनगर इन्द्रधनुषाकार अथवा सर्प के बांबी के आकार का हो तो देशनाश, व्याधि से मरण और दुर्भिक्षकारक होगा। छाइज्जइमहेणंपव्वइ मित्तेण बहुपयारेण! छिज्जंतजच्छदीसइरायविणासोहवेणियमा॥१४७|| अर्थ : यदि नगर के ऊपर नगर के आकार का गन्धर्वनगर दिखाई ६. देवे और उसके चारों ओर कोट घिरा हुआ दिखाई देवे तो निश्चय ही। राजा की मृत्यु होगी। प्रकरण का विशेषार्थ. गगजमण्डप में उदित होने वाले इष्ट और अनिष्ट के सूचक पुरविशेष को गन्धर्वनगर कहा जाता है । पुल के आकार विशेष ही आकाश में नगर के रूप में निर्मित हो जाते हैं। उनके रूप, आकार व स्थानादि का अवलोकन करके इष्टानिष्ट फल ज्ञात किया जाता है। - ज्योतिषग्रन्थों के अनुसार यदि किसी भी माह के रविवार को गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो जनता को कष्ट, दुर्भिक्ष, अन्न के भाव में तेजी, घास की कमी, विषैले जन्तुओं की वृद्धि, व्यापार में लाभ, कृषि * का विनाश और अन्य अनेक प्रकार के उपद्रव होते हैं। यदि रविवार को सायंकाल में गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो भूकम्प का भय होता है। यदि रविवार को मध्याह्न में गन्धर्वजार दिखलाई पड़े तो जनता में अराजकता फैलती है । यदि रविवार को प्रातःकाल में गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो साधारणतः सामान्य का वातावरण होता है । सन्ध्याकाल में दिखाई देने वाला गन्धर्वनगर अधिक 8 बुरा समझा जाता है | रात में दिखाई देने वाला गन्धर्वनगर अल्पफल, को प्रदान करता है। चैत्र मास में मंगलवार को सन्ध्याकाल में यदि गन्धर्व जगर

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