Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 25
________________ -निमित्तशास्त्रम [१२ तइहे दिवहे वरसइ तइसे णत्थि संदेहो॥२६॥ अर्थ : यदि सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय ओस के समान पानी पड़ जावे तो उस देश में उस दिन से तीसरे दिन पानी बरसेगा। इसमें किसीप्रकार का सन्देह नहीं है। जदि चंडवायु वायदि अहपुण मद्दमि वायवे वाऊ। तहिं होही जलवरसे पंचम दिवहे ण संदेहो॥२७|| अर्थ : यदि तेज हवा चले और बीच-बीच में मन्द हवा चले तो उस देश म पाँचवें दिन अवश्य पानी बरसेगी, इसमें कोई सन्देह नहीं है। छित्तेण कोई पुच्छइ घरम्हि छायंत हद्द वसणो वा। * उदकुंभम्मियहच्छो वरसइ अज्जंत णायव्वो॥२८॥ अर्थ : यदि कोई एकाएक आकर पूछे कि क्या आपने मकान छा लिया। है ? कपडे पहने हुए भी सही मालुम होने लगे और घड़ों का पानी गरम हो, तो आज या कल में ही वर्षा होगी ऐसा जानो। सूहा पीययवण्णा मंजिठाराय सरिस वण्णा वा। चारत्ता णीलयवण्णा वार्य वरिसं णिवेदेहि॥२९॥ अर्थ :व सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय यदि आकाश पीतवर्ण या मंजीठ, के समाज वर्ण वाला जात होवे तो हवा चलकर पानी बरसेगा- ऐसा, * निवेदन करना चाहिये। र गुप्पयवण्ण सरिच्छा द्विकत्तिज्ज सण्णिवेदेति। णियह धूसरवण्णा पाहीमरणं णिवेदेहि॥३०॥

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