Book Title: Davvnimittam
Author(s): Rushiputra  Maharaj, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 42
________________ निमितशास्त्रम् स्थापित हो जाता है । उस नगर में शासक का पराजय और अपमान । दोनों ही होने लगते हैं। शहर के मध्य में कुत्ते ऊँचे मुँह करके लगातार आठ दिनों तक भूकते दिखलाई पड़े तो उसका फल भी पूर्ववत् ही जानना चाहिये । जिस जगर में गीहड़ कुते को और चूहा बिल्ली को मारते हुए। दिख पड़े, उस नगर में राजनीतिक उपद्रव अवश्य होते हैं। उन उपद्रवी । के कारण से जनसामान्य में अशान्ति और भय समाया हुआ रहता है। यह स्थिति घटना के बाद भी दस महीनों तक रहती है। जिस नगर में सूखा वृक्ष स्वयं ही उखड़ता हुआ दिखलाई पड़े, उस नगर में राजनीतिक पक्षपात प्रारंभ हो जाता है। नेताओं और मुखिया । में परस्पर वैमनस्य हा जाता है, जिससे उस जगर को अत्यधिक हानि । होती है। जनता में भी परस्पर फूट पड़ जाती है । इस फूट के कारण से स्थिति की गंभीरता और अधिक बढ़ जाती है। जिस जगर में बहुत से मनुष्यों की आवाज सुनाई पड़े, पर बोलने वाला कोई भी दिखलाई नहीं पड़े, उस नगर में आने वाले पाँच महीनों के कार्यकाल में अशान्ति का विस्तार रहेगा। यह उत्पात रोगों के प्रकोप का भी संकेत देता है। यदि सायंकाल के समय में गीदड अथवा लोमड़ी किसी नगर या ग्राम के चारों ओर रुदन करें तो भी राजनीतिक झंझट बढ़ने की संभावना होती है। इसप्रकार के अशुभसूचक उत्पातों को देखने पर उनकी शान्ति के लिए क्या करना चाहिये ? इस प्रश्न का उत्तर देते समय आचार्य श्री भद्रबाहु लिखते हैं - देवान् प्रव्रजितान् विप्रांस्तस्माद्राजाभिपूयेत्। तदा शाम्यति तत्पापं यथा साधुभिरीरितम्॥ (भद्रबाहु संहिता :- १४/१८०) अर्थात् :- उत्पात से उत्पन्न हुए दोषों की शान्ति के लिए देव, दीक्षित, मुनि और * विप्रों की पूजा करनी चाहिये । इससे जिस पाप से उत्पात उत्पन्न होते हैं, वह पाप * मुनियों के व्दारा उपदिष्ट होकर शान्त हो जाता है। आगम की व्यवस्था को समझकर जो भव्य अपनी दिनचर्या का परिपालन करता है, उसका जीवन सुखी रहता है।

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