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-निमित्तशास्त्रम् --------
(३८ होगा। ये जो बातें बताई गई हैं , वे नियमतः अशुभ ही हैं।
जइसिवलिगंफुट्टइअग्गीजालवमुफुल्लिंग।
पसतिल लाहिरका होइजोजाणउत्पायं॥८७॥ अर्थ :
यदि शिवलिंग फूटे और उसके अन्दर से अग्निज्वाला निकले या रक्त की धारा निकले तो उसका फल बतलाते हैं। भावार्थ :
शिवलिंग फूटने पर, शिवलिंग से अग्निज्वाला निकलने पर या * शिवलिंग से रक्त की धारा निकलने पर उसका फल अशुभ होता है। उन फलों का वर्णन आगे आचार्यदेव स्वयं करेंगे।
फुडिएणयंतिभेऊअग्गीजालेण देसणासोय।
वसतिल्लरुहिरधारा कुणंतिसेयंणखइरस॥८८| अर्थ :र शिवलिंग फूट जाने से आपसी फूट बढ़ेगी, अग्निज्वाला से देश का नाश होगा और रक्त की धारा से घर-घर में रुदन होगा।
मासे हितीइयेहि रुवंदंसंति अप्पणा सव्वे। a जइण विकीरह पूया देवाणंभक्तिएएणं॥८९॥ अर्थ :
ऐसा उत्पात होने पर मनुष्यों को चाहिये कि तीन माह तक भक्तिसहित जिनेन्द्रदेव की पूजन करें। भावार्थ :व उपर्युक्त उत्पात होने पर अर्थात् शिवलिंग फूट जाने पर, प्रतिमाओं में से पसीजा निकलने पर मनुष्यों को चाहिये कि तीन मासपर्यन्त भक्ति से युक्त होकर जिनेन्द्रदेव की पूजन करें।