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-निमित्तशास्त्रम् -- अह सूरपासउइवो दीसइ पडिसूर उज्जाया विविज्।
मासे कुणइ पीडा रायाणं वाहि लोयं च॥१५॥ अर्थ :र सूर्यास्त के समय यदि सूर्य के समीप उद्योतवान द्वितीय सूर्य दिखाई दे तो जान लेना चाहिये कि एक माह में राजा और प्रजा दोनों को व्याधि के कारण कष्ट होगा।
अह दीसइ जइ खंडो उधूलो धूलिधूसरो सूरो। है सो कुणइ वाहि मरणं देसविणासं च दुभिक्खं॥१६।। अर्थ :
सूर्य में से धूलि और धुआँ उठता हुआ दिखाई दे तो ऐसा जानना चाहिये कि उस देश में व्याधि से पीड़ा होगी अथवा मरण होगा। देश का * नाश होगा और अकाल पड़ेगा। र अह मंडलेण णुद्धं पीयय मंजिल सरिस किण्हेण। 3 सो कुणइ णवरसभया पंचमदिवसे ण संदेहो॥१७॥ अर्थ :
सूर्यास्त के समय यदि सूर्य के चारों ओर पीला, मंजीठी रंग का अथवा श्यामवर्ण का मण्डल दिखाई दे तो पाँचवें दिन नौ रसों में विकार होगा । इसमें कोई सन्देह नहीं है। है अह हत्यिसरिस मेहो सूरं पाएणथिन्तु मक्कमई।
सो कुणइ राइमरणं छठे दिवहे ण संदेहो॥१८॥ अर्थ :
यदि सूर्य साँप और हाथी के समान दिखाई देवे तो छठे दिन 1. राजा का मरण होगा। इसमें कोई सन्देह नहीं है ।