________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
. चिकित्सा-चन्द्रोदय । ... जैसा मौका हो, विचारकर देनी चाहिये । निर्विषीमें विष नाश करनेकी बड़ी शक्ति है । अगर असल निर्विषी मिल जाय, तो हाथमें लेनेसे ही समस्त विष नष्ट हो जायँ, पर याद रक्खो, स्थावर विपकी दवा वमनसे बढ़कर और नहीं है। वमन करानेसे ज़हर निकल जाता है और रोगी साफ़ बच जाता है; पर वमन उसी समय लाभदायक हो सकती है, जबकि विध आमाशयमें हो ।
(५) असली ज़हरमुद्रा, पत्थरपर, गुलाव-जलमें घिस-घिसकर, एक-एक गेहूँ भर चटाओ । इसके चटानेसे क्रय होती हैं । कप होते ही फिर चटाओ। इस तरह जब तक कय होती रहें, इसे हर एक क़यके बाद गेहूँ-गेहूँ भर चटाते रहो । जब पेटमें जहर न रहेगा, तब इसके चटानेसे क्रय न होगी । बस फिर मत चटाना | इसकी मात्रा दो रत्तीकी है । पर एक बार में एक गेहूँ-भरसे जियादा मत चटाना । इसके असली-नकली होनेकी पहचान और इसके इस्तेमाल "बिच्छू-विषकी चिकित्सा में देखें । स्थावर और जंगम सब तरहके विषोंपर “जहरमुहरा" चटाना और लगाना रामवाण दवा है।
(६) घीके साथ सुहागा पीसकर पिलानेसे सब तरहके विष नष्ट हो जाते हैं । संखिया खानेपर तो यह नुप्सखा बड़ा ही काम देता है । असलमें, सुहागा सब तरहके विषोंको नाश कर देता है।
* संखिया-विषका वर्णन और उसकी
__ शान्तिके उपाय।
ODEO खियाका जिक्र वैद्यक-ग्रन्थोंमें प्रायः नहीं के बराबर है।
फिर भी, यह एक सुप्रसिद्ध विष है। बच्चा-बच्चा इसका ODE नाम जानता है। यद्यपि संखिया सफ़ेद, लाल, पीला और काला चार रंगका होता है; पर सफ़ेद ही जियादा मिलता है।
For Private and Personal Use Only