Book Title: Chikitsa Chandrodaya Part 05
Author(s): Haridas
Publisher: Haridas

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Page 715
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (. १४ ) सम्बन्धी समस्त सिरके रोग आराम हो जाते हैं । इस तैलकी जिस कदर तारीफ की जाय थोड़ी है। लेकिन हम स्थानाभावसे इसकी प्रशंसा यहीं खतम करते हैं। इस तैलको राजा-महाराजा, सेठ-साहूकारोंके सिवा औसत दरजेके सज्जन भी व्यवहार कर सकें, इसलिये इसकी कीमत की शीशी ।।) रक्खी है। महासुगन्ध तैल । इस तैलका लगानेवाला कैसा ही बेढंगा मोटा क्यों न हो, धीरेधीरे सुन्दर और सुडौल हो जाता है। इसके सिवाय इसके लगानेवालेका रूप खिल उठता है तथा शरीर सुन्दर और खूबसूरत हो जाता है। इसके लगानेसे धातु बढ़ती है तथा खाज, खुजली प्रभृति चमड़ेके रोग नाश हो जाते हैं। यह तैल अमीरों और राजा-महाराजाओंको सदा लगाना चाहिये। इसके समान धातुको पुष्ट करनेवाला, ताक़तको बढ़ानेवाला, शरीरको सुडौल और खूबसूरत बनानेवाला और तैल नहीं है। जिनकी मुटाई कम करनी हो, वे अगर हमारा “खूनसफा अर्क" भी शहद मिलाकर पीवें, तो और भी जल्दी मुटाई कम होगी। दाम १ शीशीका २॥) __ माषादि तैल । यह तैल निहायत गरम है । इसके लगानेसे गठिया, बदनका दर्द, जकड़न, लकवा, पक्षाघात प्रभृति शीतवायुके रोग निश्चय ही आराम हो जाते हैं। जिनके रोगमें शीत या सर्दी अधिक हो, वे इसे ही लगावें । दाम १ शीशीका २) दादनाशक अर्क । इस अर्कके रूईके फाहे द्वारा लगानेसे दाद साफ़ उड़ जाते हैं। खूबी यह कि, यह अर्क न लगता है और न जलता है। सबसे बड़ी बात यह है, कि आप बढ़िया-से-बढ़िया कपड़े पहने हुए इसे लगावें,. For Private and Personal Use Only

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