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विष उपविषों की विशेष चिकित्सा - " भिलावे" ।
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(१२) अखरोटकी मींगी, नारियलकी गिरी, चिरौंजी और काले तिल, इन सबको महीन पीसकर, भिलावेके विकार - सूजन या घाव वग़ैरः -- पर लेप करो। फिर ४/५ घण्टों बाद लेपको हटाकर, उस जगहको माठेसे धो डालो और कुछ देर तक वहाँ कोई लेप वग़ैरः न करो | घण्टे आध घण्टे बाद, फिर ताज़ा लेप बनाकर लगा दो । इस तरह करने से भिलावेके समस्त विकार नाश हो जायेंगे ।
(१३) इमलीके साफ़ पानी में नारियलकी गिरी घिसकर लगाने से भिलावेसे हुई जलन और गरमी फौरन शान्त हो जाती है।
(१४) सफेद चन्दन और लाल चन्दन पत्थर पर घिसकर लेप करनेसे भी भिलावेकी जलन वग़ैरः शान्त हो जाती है ।
(१५) अगर शरीर मवादसे भरा हो और वह मवाद बदबूदार हो तथा सूजन किसी उपायसे नष्ट न होती हो, तो कस्द खोलो और जुलाब दो । फ़रुद खोलना हर हालत में मुफीद है। इससे सूजन जल्दी बैठ जाती है ।
नोट——“तिब्बे अकबरी' में लिखा है -- शीतल पदार्थ, बादामका तेल, लम्बी faयाका तेल और चिकना शोरबा श्रादि भिलावेके विकारवालेको खिलाना लाभदायक है | अखरोटकी मींगी भी -- प्रकृति अनुसार —— इसके विषको नाश करती है ।
( १६ ) तिल और काली मिट्टी पीसकर लेप करनेसे भिलावों की सूजन नाश हो जाती है ।
( १७ ) चौलाईका रस मक्खन में मिलाकर भिलावोंकी सूजनपर लगानेसे शान्ति हो जाती है ।
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