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चिकित्सा-चन्द्रोदय । (५३) ऋतुस्नान के बाद, नागकेशरको अतिबलाके साथ पीसकर, दूधके साथ पीनेसे अवश्य चिरजीवी पुत्र होता है । परीक्षित है।
(५४) ऋतुस्नान करके चौथे दिन, शिवलिंगीका एक फल निगल लेनेसे बाँझ के भी पुत्र होता है, इसमें शक नहीं । “वैद्यरत्न" में लिखा है:
शिवलिंगी फलमेकमृत्वन्ते याबला गिलति। __वन्ध्यापि पुत्ररत्नं लभते सानात्रसन्देहः ॥
(५५) "चक्रदत्त में लिखा है--स्त्री सवेरे ही ब्राह्मणको दान दे और शिवकी पूजा करे। फिर सफेद खिरेंटी-बलाकी जड़ और मुलहटी दोनों एक-एक तोले लेकर पीस-छान ले और उसमें चार तोले चीनी मिला दे। फिर; एक रंगवाली बछड़े सहित गायके दूधमें बहुत-सा घी मिलाकर, इसके साथ उपरोक्त चूर्णको फाँके और दिन-भर अन्न न खाय, अगर भूख लगे तो दूध-भात खाय । अगर वीर्यवान बलवान पुरुष अपनी ही स्त्रीमें मन लगाकर मैथुन करे, तो निश्चय ही पुत्र हो ।
(५६) गोशालामें पैदा हुए बड़की पूर्व और उत्तरकी शाखा लेकर, दो उड़द और दो सफ़ेद सरसों दहीमें मिलाकर, पुष्य नक्षत्रमें पी जानेसे शीघ्र ही गर्भ धारण करनेवाली स्त्रीके पुत्र होता है । चक्रदत्त । - (५७) सफ़ेद सरसों, बच, ब्राह्मी, शंखाहूली, काकड़ासिंगी, काकोली, मुलहटी, कूट, कुटकी, सारिवा, त्रिफला, असवर्ण, पूतिकरंज, अड़ साके फूल, मजीठ, देवदारु, सोंठ, पीपर, भाँगरेके बीज, हल्दी, फूलप्रियंगू , हुलहुल, दशमूल, हरड़, भारंगी, असगन्ध और शतावरइनमेंसे प्रत्येकको आठ-आठ तोले लेकर कुचल लो और सोलह सेर जलमें औटाओ। जब चौथाई पानी रह जाय, उतार कर नितार और छान लो । फिर इस काढ़ेमें एक सेर "घी” मिलाकर, कलईदार कढ़ाहीमें मन्दाग्निसे पकाओ। जब घी-मात्र रह जाय, उतारकर धर लो।
सेवन-विधि--अपुत्रा नारीको दो माशे और गर्भवतीको ८ माशे रोज़ खिलाओ।
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